Friday, July 26, 2024
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टोक्यो पैरालिंपिक में जयपुर की बेटी अवनि ने ब्रॉन्ज मेडल जीता

Avni

टोक्यो पैरालिंपिक में जयपुर की बेटी अवनि लेखरा ने गुरुवार को 50 मीटर एयर राइफल प्रतियोगिता में ब्रॉन्ज मेडल जीतकर भारत का नाम रोशन किया है। अवनि ने एक अनूठा रिकॉर्ड अपने नाम कर लिया है। इससे पहले अवनि एयर राइफल 10 मीटर प्रतियोगिता में भी गोल्ड जीत चुकी हैं। किसी एक पैरालिंपिक में दो मेडल जीतने वाली अवनि भारत की पहली खिलाड़ी बन गई हैं।

अवनि का परिवार जयपुर में शास्त्री नगर में रहता है। जीत के बाद परिजनों ने नाच गाकर जश्न मनाया। इस दौरान अवनि के परिवार ने बताया कि वो खेल के साथ पढ़ाई में भी अव्वल है। अवनि के दादा जीआर लेखरा ने बताया कि अवनि का जयपुर से टोक्यो तक का सफर काफी संघर्ष भरा है। अवनि ने हिम्मत और लगातार मेहनत करके सभी बाधाओं को हराकर कामयाबी हासिल की है।

संघर्ष :
2012 में अवनि का एक्सीडेंट हो गया, जिससे उसको पैरालिसिस हो गया। तब वह पूरी तरह हिम्मत हार चुकी थी। उस एक्सीडेंट से वह इतना घबरा गई थी कि अपने कमरे से भी बाहर नहीं निकलती थी, लेकिन उसके परिवार ने उसे हिम्मत दी। उसके माता-पिता की महत्वपूर्ण भूमिका रही। उसकी मेहनत का ही नतीजा है कि वह दुनियाभर में भारत नाम रोशन कर रही है।

जज बनने का सपना :
शूटिंग में इतिहास रचने वाली अवनि लेखरा पढ़ाई में भी काफी होशियार हैं। परिजनों ने बताया कि उसे किताबें पढ़ने का काफी शौक है। हर दिन अवनि खेल के साथ पढ़ने में भी काफी वक्त बिताती है। अवनि के भाई अरनव ने बताया कि फिलहाल वह आरजेएस की तैयारी कर रही हैं, ताकि वह जज बन न्याय कर सके।

पिता का सपोर्ट :
अवनि को जगतपुरा में शूटिंग रेंज प्रेक्टिस करने के लिए जाना पड़ता था। उसके पिता ने बेटी की मुश्किल को देखते हुए जगतपुरा में ही घर खरीद लिया था। बेटी को प्रेक्टिस के लिए सहूलियत मिली। अवनि पैरालिसिस के कारण पहली बार में शूटिंग के लिए गन तक उठा नहीं पाई थी और आज देश को दो मेडल दिलाएं हैं।

भाई ने कहा, बहुत संघर्ष किया है मेरी बहन ने:
अवनि के भाई अरनव ने भास्कर को बताया कि शूटिंग देखने में और सुनने में जितना आसान दिखता है, असलियत में यह इतना आसान खेल नहीं है। मेरी बहन को इसे सीखने और शुरू करने में काफी संघर्ष करना पड़ा है। शुरुआत में हमें कुछ गैजेट्स के नाम तक नहीं पता थे, जिन्हें हमने बाहर से मंगवाया और उसी का नतीजा है कि आज अवनि ने दो मेडल जीत कर अपने संघर्ष को पहचान दी है।

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