झारखंड – छत्तीसगढ़ के बीच पुल का निर्माण झारखंड के गढ़वा और छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले के बीच कनहर नदी बहती है। लोग कनहर नदी को पार करने के लिए नाव का सहारा लेते हैं। बालचौरा गांव में झारखंड सरकार ने पुल का निर्माण कराने का आदेश दिया था जिससे दोनों राज्यों के बीच की दूरी कम हो और सीमावर्ती लोगों को आवागमन में सुविधा हो। झारखंड और छत्तीसगढ़ के बीच कनहर नदी पर पुल बनाने के लिए विधायक भानु प्रताप शाही ने काफी प्रयास किया था जिसके बाद राज्य सरकार ने पुल के निर्माण की स्वीकृति दी थी। झारखंड सरकार के इस महत्वाकांक्षी पुल के निर्माण पर वन विभाग की आपत्ति ने ब्रेक लगा दिया है। जिससे पुल का निर्माण कार्य अधूरा रह गया है। पुल निर्माण के लिए टेंडर पास हुआ लेकिन टेंडर अलॉट होने के बाद निर्माण कार्य शुरू होने पर वन विभाग ने इस पर आपत्ति जताई । इससे काम वही रुक गया।
आवागमन में परेशानी: नदी के दोनों तरफ रहने वाले दोनों राज्यों के लोगों को नदी पार करके दूसरी तरफ जाना पड़ता है। क्योंकि किसी के रिश्तेदार दूसरी ओर रहते है तो किसी को कमाने के लिए नदी पर करनी पड़ती है। ऐसे में आवागमन की समस्या है।
पीडब्ल्यूडी के अधिकारियो का मत : पुल का निर्माण कार्य करा रहे लोक निर्माण विभाग के कार्यपालक अभियंता का इस सम्बन्ध में कहना है कि पुल का टेंडर जिसे दिया गया था उसपर वन विभाग ने केस कर दिया और उसका सामान सीज कर दिया। ठेकेदार को वहां से भगा दिया गया। उन्होंने कहा कि वन विभाग से क्लियरेंस मिलने के बाद ही पुल का निर्माण कार्य फिर से शुरू हो पायेगा।
वन विभाग ने दी पेड़ काटने की अनुमति: लोक निर्माण विभाग अधिकारी ने कहा कि वन विभाग की ओर से पहले चरण के काम के लिए स्वीकृति मिल गई है। ठेकेदार को भी कोरोना हो गया था। वहीं, इस मामले पर वन विभाग के डीएफओ ने बताया कि धुरकी में पुल निर्माण हो रहा था पुल तक सड़क के निर्माण में विभाग की तीन हेक्टेयर जमीन जा रही थी। विभाग से पेड़ काटने की अनुमति मांगी गई थी जिसे स्वीकृति दे दी गई है। अब काम पीडब्ल्यूडी को करना है.