Tuesday, November 5, 2024
Home > Sports > ओलिंपिक महिला हॉकी में हैट्रिक मारने वाली पहली भारतीय वंदना कटारिया ने रचा इतिहास

ओलिंपिक महिला हॉकी में हैट्रिक मारने वाली पहली भारतीय वंदना कटारिया ने रचा इतिहास

ओलंपिक

भारतीय महिला हॉकी टीम ने ग्रुप-A के अपने आखिरी मैच में साउथ अफ्रीका को 4-3 से हराया । उत्तराखंड के हरिद्वार के छोटे से गांव रोशनाबाद की रहने वाली वंदना कटारिया ने मैच में 3 गोल दागकर ओलिंपिक मैच में गोल की हैट्रिक लगाने वाली भारत की पहली महिला हॉकी खिलाड़ी बन गईं। उनके इस गोल की बदौलत भारत के क्वार्टर फाइनल में पहुंचने की उम्मीद अभी बरकरार है। 29 साल की वंदना पहले खो-खो प्लेयर बनना चाहती थीं, लेकिन रनिंग स्पीड अच्छी होने की वजह से हॉकी खेलना शुरू किया।

संघर्ष : 2005 में उनके पास हॉकी की ट्रेनिंग के लिए पैसे नहीं थे। वंदना के पिता नाहर सिंह कटारिया ने पैसों का इतंजाम किया और अपनी बेटी के सपनों को पूरी किया । टोक्यो ओलिंपिक से 3 महीने पहले अप्रैल में उनके पिता नाहर सिंह का निधन हो गया था। वंदना ने अपने पापा की याद को ही अपनी प्रेरणा बनाते हुए ओलिंपिक मेडल जीतने को लक्ष्य बना लिया। रनिंग स्पीड अच्छी होने की वजह से हॉकी खेलना शुरू किया। 2003 में हॉकी के कोच प्रदीप चिन्योटी वंदना को अपने साथ मेरठ ले आए। 2006 में वंदना को केडी सिंह बाबू स्टेडियम लखनऊ में एडमिशन लिया और वहीं ट्रेनिंग शुरू की।

परिवार वाले वंदना को खेल की लाइन में जाने देना उचित नहीं समझते थे : वंदना बताती हैं, “मेरे घर वाले नहीं चाहते थे कि लड़की होकर मैं खिलाड़ी बनूं और बाहर जाऊं, लेकिन पापा मुझे सपोर्ट करते थे। उन्होंने मेरी पूरी मदद की, इसलिए लोगों ने उन्‍हें भी ताना देना शुरू कर दिया था।” लेकिन उन्होंने दुनिया की परवाह न करते हुए वंदना का साथ दिया।

7 भाई बहनों में सबसे छोटी हैं वंदना: वंदना अपने 7 भाई बहनों में सबसे छोटी हैं। वंदना के 5 भाई बहन खेल से ही जुड़े हैं। बड़ी बहन रीना कटारिया भोपाल एक्सीलेंसी में हॉकी कोच और छोटी बहन अंजलि कटारिया हॉकी खिलाड़ी हैं। भाई पंकज कराटे और सौरभ फुटबॉल खिलाड़ी एवं कोच हैं।

2010 में नेशनल टीम में सिलेक्शन: वंदना के पिता BHEL में काम करते थे। वंदना बताती हैं, “कई बार हालात ऐसे हो जाते थे कि बाहर ट्रेनिंग करने के लिए मेरे पास पैसे नहीं होते थे। पापा उधार लेकर मुझे ट्रेनिंग के लिए भेजते थे। 2005 में मैंने उतर प्रदेश टीम से खेलना शुरू किया। मेरी किस्मत अच्छी थी कि 2011 में स्पोर्टस कोटे से रेलवे में जूनियर TC पद पर जॉब लग गई। 2010 में मेरा नेशनल महिला हॉकी टीम में सिलेक्शन हो गया।”

2013 में सबसे ज्यादा गोल : 2013 महिला हॉकी जूनियर वर्ल्ड कप में उन्होंने सबसे ज्यादा गोल दागे और टीम को ब्रॉन्ज मेडल दिलाया । वंदना ने एक इंटरव्यू में बताया था कि जूनियर वर्ल्ड कप के बाद मीडिया वालों ने उनके पिता का इंटरव्यू लिया। उस वक्त उनकी आंखों में आंसू थे। पिता को गर्व कराना उनके हॉकी के सफर में सबसे अच्छे पलों में से एक है।

अवार्ड्स :

2013 : जापान में हुई तीसरी एशियन चैंपियनशिप में सिल्वर मेडल जीता।

2014 :कोरिया में हुए 17वें एशियन गेम्स में ब्रॉन्ज मेडल जीता।

2014 :एशियन गेम्स में ब्रॉन्ज मेडल जीता।

2016 :सिंगापुर में हुई चौथी एशियन चैंपियनशिप में वंदना ने टीम इंडिया को गोल्ड मेडल जीतने में मदद की।

2018 : जकार्ता में हुए एशियन गेम्स में सिल्वर मेडल जीता।

2016 : रियो ओलिंपिक में भी वे इंडियन स्क्वॉड का हिस्सा रहीं। हालांकि टीम को क्वार्टर फाइनल में हार का सामना करना पड़ा।

2018 :गोल्ड कोस्ट में हुए 11वें कॉमनवेल्थ गेम्स में वंदना ने टीम इंडिया का प्रतिनिधित्व किया। टीम चौथे स्थान पर रही थी।

2021 :अर्जुन अवॉर्ड के लिए नामित हुईं। वंदना नेशनल टीम में सिलेक्‍शन का पूरा श्रेय अपने लखनऊ के कोच विष्णु प्रकाश शर्मा और पूनम लता को देती हैं। अर्जेंटीना की लुसियाना आयमार उनकी पसंदीदा खिलाड़ी हैं।

2021 में उन्हें अर्जुन अवॉर्ड के लिए भी नामित किया गया था।

वंदना नेशनल टीम में सिलेक्‍शन का पूरा श्रेय अपने लखनऊ के कोच विष्णु प्रकाश शर्मा और पूनम लता को देती हैं। अर्जेंटीना की लुसियाना आयमार उनकी पसंदीदा खिलाड़ी हैं। 2021 में उन्हें अर्जुन अवॉर्ड के लिए भी नामित किया गया था।

Share this:

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Copyright © 2021. All Rights Reserved |