आज के समय डायबिटीज की समस्या आम हो चुकी है। डायबिटीज होने पर शरीर में ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल करना काफी जरूरी होता है।
*डायबिटीज दो तरह का होता है- टाइप 1 डायबिटीज और टाइप 2 डायबिटीज।
*टाइप 1 डायबिटीज– टाइप 1 डायबिटीज किसी भी उम्र में हो सकता है। यह बच्चों या युवाओं में पाया जाता है। यह एक ऑटोइम्यून बीमारी होती है। इसमें शरीर इंसुलिन बनाना बंद कर देता है।
*टाइप 2 डायबिटीज– टाइप 2 डायबिटीज का मुख्य कारण मोटापा, हाइपरटेंशन और खराब लाइफस्टाइल है। इसमें शरीर में इंसुलिन कम मात्रा में बनता है। टाइप 2 डायबिटीज अधिकतर वयस्क लोगों में पाया जाता है।
टाइप 2 डायबिटीज के मरीज को क्या खाना चाहिए :
इनको ऐसी चीजों का सेवन करना चाहिए जिसमें पोषक तत्व जैसे फाइबर, विटामिन और मिनरल्स की मात्रा काफी अधिक हो। जैसे :
फ्रूट्स (सेब,संतरा, बेरीज, मेलन, आड़ू)
सब्जियां (ब्रोकली, फूलगोभी, पालक, खीरा आदि)
साबुत अनाज (किनोआ, ओट्स, ब्राउन राइस आदि)
फलियां (बीन्स, दाल, चना)
नट्स (बादाम, अखरोट, पिस्ता, काजू )
बीज (चीया सीड्स, कद्दू के बीज, अलसी के बीज, भांग के बीज )
प्रोटीन-युक्त चीजें (सीफूड, टोफू, लो फैट रेड मीट आदि)
ब्लैक कॉफी, फीकी चाय, सब्जियों का जूस
टाइप 2 डायबिटीज के मरीज करे इन चीजों से परहेज :
हाई फैट मीट
फुल फैट डेयरी प्रोडक्ट्स (फैट मिल्क, बटर, चीज़)
मीठी चीजें (कैंडीज, कुकीज, मिठाई, बेक्ड चीजें, आइस क्रीम)
मीठे पेय पदार्थ (जूस, सोडा, मीछी चाय, स्पोर्ट्स ड्रिंक्स)
स्वीटनर्स (टेबल शुगर, ब्राउन शुगर, शहद, मेपल सिरप)
प्रोसेस्ड फूड (चिप्स, प्रोसेस्ड मीट, माइक्रोवेव में बनें पॉपकॉर्न)
ट्रांस फैट्स (फ्राइड फूड्स डेयरी मुक्त कॉफी क्रीमर आदि)
टाइप 2 डायबिटीज के मरीजों के लिए कीटो डाइट के फायदे-नुकसान :
कीटो डाइट लो कार्ब डाइट होती है जिसमें प्रोटीन और फैट से भरपूर खाद्य पदार्थों पर जोर दिया जाता है। जैसे मीट, चिकन, सीफूड, अंडे , पनीर, नट्स और बीज। कीटो डाइट में बिना स्टार्च वाली सब्जियों को शामिल किया जाता है जैसे ब्रोकली, फूलगोभी, गोभी, केल और अन्य पत्तेदार सब्जियां।
अनाज, सूखी फलियां, जड़ वाली सब्जियां, फल और मिठाई समेत हाई कार्ब्स वाली चीजों को शामिल नहीं किया जाता। लो कार्ब डाइट डायबिटीज के मरीजों में ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल करने में मदद करती है। इससे कोलेस्ट्रॉल के लेवल को भी सुधारा जा सकता है। लो कार्ब डाइट लेने से बल्ड शुगर लेवल को सुधारने के साथ ही इंसुलिन रेजिस्टेंस को कम किया जा सकता है।