ओलंपिक में भारत को गोल्ड मैडल का ख़िताब दिलाने वाले गोल्डन बॉय नीरज चोपड़ा पर आज पुरे देश को नाज है।
नीरज चोपड़ा के लाइफस्टाइल से जुड़ी कुछ बातें:
आत्मविश्वास : पानीपत के एक छोटे से गांव खंडरा से ताल्लुक रखने वाले नीरज ने कभी खुद को किसी से कम नहीं आंका। उन्होंने एक इंटरव्यू में स्पष्ट कहा है की उन्हें इंग्लिश इतनी अच्छे से नहीं आती और वे हिंदी को सपोर्ट करते है।
कम्फर्ट जोन से बाहर निकलें : बचपन में नीरज चोपड़ा का वजन बहुत ज्यादा होने से सब उनका मजाक उड़ाते थे, तभी से उन्होंने खुद को बदलने की ठानी था। उन्होंने कम्फर्ट जोन से बाहर आकर फिटनेस पर काम करना शुरू किया आगे चलकर यही साधारण सा लड़का देश के लिए गोल्ड मेडल लेकर आया।
नया करने का जुनून: नीरज ने जेवलिन में गोल्ड मैडल जीतकर भारत के लिए कुछ नया किया है। हालाँकि भारत ने ओलंपिक में इससे पहले हॉकी, कुश्ती, शूटिंग और बॉक्सिंग जैसे खेलों में मेडल जीते थे।
फेलियर: इंसान गिर – गिर कर ही चलना सीखता है। फेलियर इंसान के लिए बड़ा टर्निंग प्वॉइंट साबित हो सकते हैं। हार के डर से पीछे नहीं हटना चाहिए। 2012 में बास्केट बॉल खेलते-खेलते नीरज चोपड़ा की कलाई टूट गई थी। ओलंपिक से 2 साल पहले उनकी एल्बो की सर्जरी हुई। लेकिन उनके हाथ से जेवलिन कभी नहीं छूटा और उनके निरंतर प्रयास से भारत की झोली में कभी कॉमनवेल्थ तो कभी ओलंपिक में गोल्ड आते रहे।
चुनौतियों से ना घबराएं- नीरज ने जीवन में अनेक चुनौतियों का सामना किया है। वजन कम करने के बाद खुद को एक फिट एथलीट बनाना उनके लिए पहली चुनौती थी। छोटे गांव से आए लड़के का बेस्ट थ्रोअर बनना दूसरी बड़ी चुनौती थी। नीरज के लिए चुनौतियां आज भी कम नही हुई हैं। अब उनके सामने 90 मीटर के बैरियर को तोड़ना एक नई चुनौती है जिस पर वह खूब पसीना बहा रहे हैं।
लक्ष्य से ना भटकें– नीरज की उपलब्धियों को लोग किसी चमत्कार से कम नहीं मान रहे हैं। वर्ल्ड जूनियर चैंपियनशिप्स (2016), साउथ एशियन गेम्स (2016), एशियन चैंपियनशिप (2017), कॉमनवेल्थ गेम्स (2018), एशियन गेम्स (2018) और टोक्यो ओलंपिक (2020) में नीरज ने गोल्ड मेडल पर निशाना साधा है। इतनी उपलब्धियों के बाद भी वह अपने लक्ष्य से बिल्कुल नहीं भटके हैं .गर्लफ्रेंड, शादी और सक्सेस के नशे को वह खुद पर हावी नहीं होने देना चाहते हैं. नीरज की निगाहें अब अपने लक्ष्य से बिल्कुल नहीं भटके हैं. नीरज की निगाहें अब अपने अगले लक्ष्य पेरिस ओलंपिक (2024) पर टिकी हैं।
मजबूत दावेदारों के सामने घबराना नहीं: लोग मजबूत प्रतिद्वंद्वियों का सामना होते ही घुटने टेक देते हैं. नीरज चोपड़ा खुद इस बात की मिसाल हैं कि प्रतिद्वंद्वियों की दावेदारी भले ही कितनी भी मजबूत क्यों न हों, अपनी क्षमताओं और सही तकनीक के इस्तेमाल से आप बाजी मार सकते हैं. नीरज ने ओलंपिक में दुनिया के नंबर-1 जेवलिन थ्रोअर योहान्स वेटर को पछाड़ते हुए गोल्ड मेडल पर कब्जा जमाया है.
सही डाइट और व्यायाम- सही खान-पान और नियमित रूप से व्यायाम बहुत जरूरी है. नीरज चोपड़ा अपनी डाइट में साल्मन फिश, चिकन, अंडे, देशी घी और तरह-तरह के फल खाते हैं. ये न सिर्फ उनकी शारीरिक क्षमता को बढ़ाता है, बल्कि उन्हें मानसिक रूप से भी प्रबल बनाता है.
नीरज सुबह प्रैक्टिस पर निकलने से पहले डेली एक्सरसाइज करते हैं. वह जिम में वेट लिफ्टिंग से ज्यादा अपनी बॉडी को फ्लेक्सिबल रखने के लिए स्ट्रेचिंग करते हैं. कॉम्पिटीशन या मैच से पहले वह अपनी रूटीन डाइट का खास ख्याल रखते हैं. उनकी ये हेल्दी आदतें हर इंसान को अपनानी चाहिए।