भारत में ओमिक्रॉन के 183 में से 87 लोग ऐसे थे जो वैक्सीन के दोनों डोज ले चुके थे। फिर भी उनको संक्रमण हो गया।183 संक्रमितों में से केवल तीन अनवैक्सीनेट थे और दो लोगो ने पहली डोज ली थी। 73 लोगों के वैक्सीनेशन स्टेटस की कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है। जबकि 16 लोग वैक्सीनेशन के लिए इलिजिबल नहीं थे। इससे पता चला कि अकेले वैक्सीन के दम पर महामारी को रोकना मुश्किल है। इस बीमारी को रोकने के लिए मास्क और आवश्यक सावधानियाँ जरूरी है।
विश्लेषण से पता चला है कि 18 मामलों में विदेश यात्रा की कोई हिस्ट्री नहीं है। यह कम्यूनिटी में ओमिक्रॉन की मौजूदगी का संकेत है। .
डॉ. वीके पॉल ने कहा, ‘ ओमिक्रॉन वैरिएंट के घरों में ट्रांसमिट होने का जोखिम डेल्टा से बहुत ज्यादा है। मास्क नहीं पहनने से यह बीमारी घर में पहुँच जाती है । ओमिक्रॉन में यह खतरा बहुत ज्यादा है। हमें अपने दिमाग में ये बातें बिठा लेनी चाहिए.’
डॉ. पॉल ने कहा, ‘मैं देखभाल की आवश्यकता पर जोर देना चाहता हूं. आगे बहुत से त्योहार और न्यू ईयर आने वाला है। इस दौरान वैरिएंट ज्यादा तेजी से उभरेगा। इसलिए एक जिम्मेदार नागरिक होने के नाते मास्क पहनें, हाथों को सैनिटाइज करें और भीड़ में जाने से बचें। बेवजह यात्रा पर ना जाएं। इस वक्त हम एक बड़े ग्रुप में नहीं रह सकते हैं। हमें लगातार चौकन्ना रहना होगा। नियंत्रण और निगरानी की रणनीति महामारी से बचने के प्रमुख तरीके हैं। हमारे पास वैक्सीनेशन है, लेकिन महामारी के खिलाफ अकेले वैक्सीन पर्याप्त नहीं है। हमें कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग और पेरीमीटर कंट्रोल पर ज्यादा जोर देना होगा.’
ओमिक्रॉन से संक्रमित करीब 70 % मरीजों में कोई लक्षण नहीं दिखाई देता है।
डॉ. बलराम भार्गव ने बताया कि भारत में अभी भी डेल्टा वैरिएंट ज्यादा खतरनाक है। इसलिए हमें अभी भी वही रणनीति जारी रखने की आवश्यकता है। कोविड-19 के नियमों का पालन करें और वैक्सीनेशन की रफ्तार बढ़ाएं। ऐसा जरूरी नहीं कि ओमिक्रॉन से संक्रमण में गंभीर लक्षण देखने को मिलें। और वैक्सीनेशन की रफ्तारहाई ओमिक्रॉन मामलों में हल्के लक्षण देखे गए हैं, जबकि बाकी मरीजों में किसी तरह का लक्षण नहीं है.’
डॉ. वीके पॉल ने प्राइवेट अस्पतालों को हर तरह से इस बीमारी का सामना करने के लिए तैयार रहने की अपील की।